विषैली रासायनिक गैसों के रिसाव से त्रस्त चौगावडी ग्रामवासी, प्रकृति के संरक्षण के लिए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंण्डल को सौंपा आवेदन पत्र

चित्तौड़गढ़ः किसानों के लिए केवल फसल ही आजीविका का एक मात्र साधन होती है, ऐसे में अगर फसल बर्बाद होने की नौबत आ जाये तो उनके लिए परिवार को आर्थिक तौर पे संभालना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति में किसानों को मुआवजा मिलना मतलब ‘डूबते को तिनके का सहारा’। कुछ ऐसी ही समस्या को लेकर चित्तौड़गढ़ के गंगरार तहसील के चौगावडी गांव के किसानों ने अपनी समस्याओं को राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंण्डल तक पहुंचाकर मुआवजे की गुहार लगाई है।

किसानों का कहना है कि ग्राम पंचायत चौगावडी के राजस्व ग्राम मानसिंहजी का खेड़ा में स्थित खाद फैक्ट्री तिस्ता एग्रो इंडस्ट्रीज से क्षेत्र को प्रदूषण हो रहा है। यह प्रदूषण को रोकने के लिए ग्राम वासियों ने स्थानीय राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंण्डल को आवेदन पत्र सौंपकर प्रदूषण को रोकने के लिये प्रार्थना की है।

किसानो के अभियोग मुताबिक तिस्ता एग्रो द्वारा सभी तय मानकों एवं नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। अवैध रूप से रात्रि के समय विषैली रासायनिक गैसों का रिसाव किया जाता है साथ ही अवैध तरीके से भूगर्भ में एसिड डाला जाता है, जिससे क्षेत्र की जमीन बंजर या बिन उपयोगी होती जा रही है। यह इंडस्ट्रीज के द्वारा अनुचित एवं गैर प्रमाणित रसायनो तथा मिट्टी एवं अन्य अवैध पदार्थो का प्रयोग कर खाद का निर्माण किया जा रहा है।

किसानों ने आवेदन पत्र में जिक्र किया है कि, पिछले पांच वर्षो से क्षेत्र के किसान भी इस इंडस्ट्रीज से बहुत प्रभावित है, हजारो रूपये खर्च करके हम ग्राम वासी अपनी फसल उगाते है, जो कि हमारी एकमात्र आजीविका है, लेकिन विषैली गैसों के प्रभाव से फसलें नष्ट हो जाती है, जिससे क्षेत्र के किसान कर्जे में डूबा जा रहा है।

मानव जीवन, वनस्पति, पशु पक्षी एवं भूगर्भ में स्थित मिट्टी के अस्तित्व को संरक्षित रखने के लिए नियमानुसार कार्यवाही करने के लिए साथ साथ किसानों को पिछले पांच वर्षो में हुए फसल खराबे को उचित मुआवजा दिलवाने के लिए राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंण्डल से अपील की है।

चौगावडी ग्राम पंचायत के मानसिंहजी का खेड़ा क्षेत्र के किसानों की इस समस्या को दर्शाते हुए ‘पर्यावरण टुडे’ ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।

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