सुवेज फार्म की कपड़ा इकाइयों द्वारा जीपीसीबी के आशीर्वाद से एसिड युक्त अपशिष्ट जल का किया जा रहा है निर्वहन


जो कपड़ा इकाइयाँ अपशिष्ट जल उपचार लागत पर बचत करना चाहती थीं, उन्होंने सुवेज फार्म क्षेत्र में अपनी इकाइयाँ स्थापित की हैं


अहमदाबाद: अपशिष्ट जल उपचार की लागत बचाने की चाहत रखने वाली कपड़ा इकाइयों ने सुवेज फार्म क्षेत्र में अपनी इकाइयां स्थापित की हैं। ग़ौरतलब है कि पिछले वर्षों में साबरमती नदी के प्रदूषण पर रोक लगाने हेतु राज्य की उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए सख्त आदेशों के चलते  सुवेज फार्म क्षेत्र के गेरकानुनी रूप से गंदे पानी का निकास करने वाले कार्यरत उद्योगों पर गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा अहमदाबाद नगर निगम को रोक लगाने पर मजबुर होना पड़ा।


अमदावाद हैंड स्क्रीन प्रिंटिंग एसोसिएशन की छोटी इकाइयों का निवाला छीनकर सुवेज फार्म की बड़ी इकाइयों को देने के लिए कौन जिम्मेदार है?


अहमदाबाद के सुवेज फार्म  क्षेत्र के पास दाणिलिमडा क्षेत्र में कार्यरत छोटे छोटे उद्योगों की एसोशियेशन AHSPA  (अमदावाद हैंड स्क्रीन प्रिंटिंग एसोसिएशन) ने वर्षों से अनेक सरकारी विभागों से अपने उद्योगों को जीवित रखने हेतु मदद की गुहार लगाई थी। छोटे छोटे उद्योगों की कड़ी तपस्या के बाद सरकारने करोड़ों रुपयों के निवेश से AHSPA के अंतर्गत मान्य सदस्यता वाले उद्योगों से उद्भवित प्रदुषित गंदे पानी को ट्रीटमेंट करने के हेतु से अन्दाज 30 से 40 MLD का कोमन ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) की स्थापना करके AHSPA की कमिटी होड्डेदारों के संचालन में सुप्रद कर दिया। जो पिछले कुछ महीनों से कार्यरत है।

इसी दौरान सुवेज फार्म क्षेत्र के कुछ गैर-कानूनी कार्यप्रणाली से व्यवसाय चलाने की मानसिकता वाले उद्योग संचालकों ने AHSPA (अहमदाबाद हैंड स्क्रीन प्रिंटिंग एसोसिएशन) से कम मात्रा में पानी का निर्वहन करने की बुकिंग दिखाकर सदस्यता प्राप्त करने के बाद बड़ी चालाकी से AHSPA की कमिटी में दाखिल हो गये और CETP को हस्तगत कर लिया। एक बार मंजूरी मिल जाने पर बड़ी मात्रा में एसिड युक्त अपशिष्ट जल बेरोकटोक छोड़ा जाएगा। इस प्रकार सुवेज फार्म स्थित बड़ी इकाइयां अहमदाबाद हैंड स्क्रीन प्रिंटिंग एसोसिएशन की मूल छोटी इकाइयों की आड में अपना स्वार्थ सिद्ध कर रही हैं।

सुवेज फार्म में स्थित कुछ कपड़ा प्रोसेस उद्योगों को AHSPA वाले CETP के माध्यम से उद्योगिक पानी निकाल करने की मंज़ूरी मिली है जबकि उद्योगों से दैनिक 30 MLD से अधिक पानी CETP में छोड़ा जा रहा है।


एसोसिएशन की ओर से इस बात की कोई व्यवस्था नहीं की गई है कि कौन सी इकाइयां किस मानक का पानी कितनी मात्रा में छोड़ रही हैं


सीईटीपी के संचालक मैसर्स एलएंडटी की ओर से एसोसिएशन को इसके बारे में और एसिड युक्त अपशिष्ट जल आने के बारे में भी जानकारी दे दी गई है। अत्यधिक एसिड युक्त पानी के कारण सीईटीपी भी पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहा है। वर्तमान में जीपीसीबी ने सीईटीपी के ऑन-साइट निरीक्षण के दौरान अपशिष्ट इनलेट-आउटलेट मानदंडों का गैर-अनुपालन पाया है। इसके अलावा टरसरी प्लांट भी बंद पाया था, जिसके कारण जीपीसीबी द्वारा 30 दिनों के प्रभाव से क्लोज़र  डायरेक्शन का आदेश जारी किया गया है। जो सुवेज फार्म स्थित कपड़ा इकाइयों को बचाने के लिए ही दिया गया हो ऐसा प्रतीत होता है। क्योंकि पहले भी जीपीसीबी ने कई सीईटीपी को ऐसे नोटिस जारी किए थे, लेकिन कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।

अत्याधिक प्रदूषित पानी के कारण तथा क्षमता से अधिक मात्रा में ओवर लोड पानी के कारण CETP पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहा बल्कि कुछ महीनों में ही जर्जरित होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

यदि जीपीसीबी वास्तव में साबरमती नदी को प्रदूषण मुक्त करना चाहती हो, तो वह अहमदाबाद हेन्ड स्क्रीन एन्ड प्रिंटिंग एसोसिएशन के मूल सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी कनेक्शन बंद करा कर सीईटीपी में आने वाली अपशिष्ट जल की मात्रा को एक निर्धारित मानक और एक निर्धारित मात्रा तक सीमित करने की कार्यवाही करे।

सुएज फार्म में स्थित कई इकाइयों द्वारा जीपीसीबी के निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन करते हुए एसिड युक्त अपशिष्ट जल साबरमती में छोडे जाने पर उनके और जीपीसीबी के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्ल्युनल में एक रिट याचिका दायर की गई है, जिसकी अंतिम सुनवाई थोड़े समय के अंदर निर्धारित है।

 

*File Photo

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