धरती में पोषक तत्व नहीं बचे हैं और विकट हालात बन जाएं, उससे पहले रासायनिक खाद का उपयोग बंद करना चाहिए

गांधीनगर: गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शनिवार को कहा कि खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग करने वाले किसानों को रोकिए और समझाईये।

राज्यपाल ने राजभवन में प्राकृतिक कृषि के विकासार्थ आज राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित की गई। इस इस बैठक में श्री देवव्रत ने कहा कि रासायनिक खाद का आयात बढ़ता ही जा रहा है, इसके साथ-साथ कैंसर जैसे जानलेवा रोग भी बढ़ते जा रहे हैं। ज्यादा उत्पादन पाने के लालच में अन्न में से 45 फीसदी पोषक तत्व गायब हो गए हैं। धरती में पोषक तत्व नहीं बचे हैं और विकट हालात बन जाएं, उससे पहले रासायनिक खाद का उपयोग बंद करना चाहिए।

राज्यपाल ने बैठक में उच्च अधिकारियों से अनुरोध किया कि रासायनिक खाद के अंधाधुंध उपयोग के दुष्परिणाम हम भुगत रहे हैं। भूमि, पर्यावरण, जल और मानव स्वास्थ्य के लिए रासायनिक खाद गम्भीर खतरा है। उन्होंने कृषि विभाग के तमाम अधिकारियों-कर्मचारियों से किसानों को रासायनिक खाद का उपयोग बन्द करवाने को कहा। साथ ही, प्राकृतिक खेती अपनाने और उन्हें तालीम देने का निर्देश दिया।

आचार्य देवव्रत भी पूर्व में अपने गुरुकुल-कुरुक्षेत्र, हरियाणा में रासायनिक खेती किया करते थे। एक बार उनके खेत में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर रहा व्यक्ति इसके असर के कारण बेहोश हो गया। उसी दिन से उन्होंने रासायनिक दवाओं और खाद के विषैले असर को समझकर प्राकृतिक कृषि पद्धति अपना ली है। वह पिछले नौ वर्ष से अपने गुरुकुल-कुरुक्षेत्र फार्म में पूर्ण पद्धति से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इतना ही नहीं भारी उत्पादन भी प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए ही वह अन्य तमाम लोग भी कल्याणकारी प्राकृतिक खेती पद्धति अपनाएं, इसके लिए परिश्रम कर रहे हैं।

गुजरात की तमाम कृषि यूनिवर्सिटियों और उनके आधीन कृषि विज्ञान केन्द्रों में प्राकृतिक कृषि मॉडल फार्म बने और तमाम कृषि यूनिवर्सिटियां किसानों को प्राकृतिक खेती की तालीम दे। यह अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि किसानों से प्राकृतिक खेती करवाना और स्वास्थ्यप्रद खाद्यान्न का उत्पादन करना मानवता का कल्याण और देश की भलाई का कार्य है। यह कार्य पूर्ण प्रमाणिकता से और अंतर्मन से होगा, तभी परिणाम मिलेंगे और समग्र देश में क्रांति आएगी। राज्य सरकार के कृषि विभाग, कृषि यूनिवर्सिटियों और अन्य संलग्न विभागों के अधिकारियों से प्राकृतिक कृषि के लिए युद्ध स्तर पर कार्य करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती करने वाले किसान दु:खी हैं। उनकी जमीनें वीरान हो गई हैं। वह ऐसा उत्पादन पा रहे हैं जो स्वास्थ्यप्रद नहीं है। प्राकृतिक खेती ही करनी पड़ेगी, ऐसे हालात हैं। किसानों को प्राकृतिक खेती का मार्गदर्शन देने और योग्य तालीम देने की आवश्यकता है।

इस समीक्षा बैठक में कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके. राकेश, राज्यपाल के अग्र सचिव राजेश मांजु, गुजरात लाइवलीहुड प्रमोशन कम्पनी के मैनेजिंग डिरेक्टर मनीष कुमार बंसल, गुजरात एग्रो इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन के मैनेजिंग डिरेक्टर डीएच. शाह, कॉ-ऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्ट्रार कमल शाह, गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. सीके. टिम्बडिया, आणंद कृषि युनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. केबी. कथीरिया, कृषि निदेशक एसजे. सोलंकी, आत्मा के निदेशक प्रकाश रबारी, प्राकृतिक कृषि के राज्य संयोजक महात्मा प्रफुल्लभाई सेंजलिया तथा अन्य पदाधिकारी और उच्च अधिकारी उपस्थित थे।

राज्य में प्राकृतिक कृषि पद्धति के 382 मॉडल फार्म हैं और 40 लाख से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती की तालीम दी गई है। राज्य में प्राकृतिक कृषि पद्धति से खेती करने वाले किसान, अन्य किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए मॉडल फार्म तैयार कर रहे हैं। राज्य सरकार इसके लिए किसानों को तालीम और प्रोत्साहन दे रही है। गुजरात के 33 जिलों में 3,082 मॉडल फार्म तैयार है। सबसे ज्यादा महेसाणा जिले में 158 मॉडल फार्म हैं। पाटण, भावनगर, कच्छ, सूरत, पंचमहाल, अमरेली और खेड़ा जिले में 100 से ज्यादा मॉडल फार्म तैयार हुए हैं। जनवरी 2024 में 2.36 लाख किसानों और 15 फरवरी तक अन्य 63,000 किसानों को उनके घर आंगन में जाकर क्लस्टर में तालीम दी जा रही है। पिछले तीन वर्ष में ही 40 लाख से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती की तालीम दी जा रही है।

 

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