युवाओं को मधुमेह का खतरा ज्यादा

नयी दिल्ली: चालीस वर्ष से कम उम्र के 26 फीसदी लोगों में “फास्टिंग ब्लड शुगर” का स्तर “बॉर्डरलाइन” पर पाया गया जिसका कारण जरूरत से ज्यादा तनाव, खान-पान की गलत आदतें, व्यायाम नहीं करना और सोने का कोई निश्चित समय नहीं होना तथा असामान्य नींद है।

हाल में किये गये एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि जिन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) असामान्य है और जो मोटापे के शिकार हैं उनमें से 35 फीसदी व्यक्तियों में “फास्टिंग” में असामान्य “ब्लड शुगर लेवल” देखा गया। महिलाओं में ब्लड शुगर लेवल को प्रभावित करने और “टाइप टू डायबिटीज” होने के खतरे को तय करने वाले महत्वपूर्ण कारक के रूप में रजोनिवृत्ति है। सर्वेक्षण में 25 हजार लोगों को शामिल किया गया और यह अप्रैल 2021 से मार्च 2023 के बीच गया।

इस वर्ष विश्व मधुमेह दिवस की मुख्य विषय वस्तु “मधुमेह के रोगियों को बेहतर देखभाल तक पहुंच दिलाना” है। इसका लक्ष्य सामूहिक स्तर पर मधुमेह पर लगाम और रोगियों की बेहतर देखभाल के लिए जरूरी कदम उठाना है। भारत को मधुमेह का वैश्विक केंद्र माना जाता है।

सर्वेक्षण में कहा गया है कि मधुमेह की जल्दी जांच कराने और इसका जल्द से जल्द इलाज शुरू करने पर खास जोर दिया जाना चाहिए। निष्क्रिय जीवन शैली मधुमेह के खतरे को और बढ़ाती है। जो व्यक्ति मधुमेह के रोग से जूझ रहे हैं, वह प्रतिरोधात्मक कदम, जैसे स्वस्थ जीवन शैली को अपनाकर, खान-पान और जीवनशैली में बदलाव कर इस स्थिति को उलट सकते हैं। जिन लोगों में मधुमेह का ज्यादा खतरा है, उनमें वह व्यक्ति शामिल हैं, जिनके शरीर का वजन ज्यादा है, जिनके परिवार में लोगों को मधुमेह होने का इतिहास रहा है या जो सुस्‍त जीवन बिता रहे हैं। उन्हें नियमित रूप से ब्लड शुगर लेवल की जांच कराना चाहिए। गलत जीवनशैली के कारण होने वाले मधुमेह को रोकने के लिए बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।

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