अन्नदाता की मन की बात: चित्तौड़गढ़ के चौगावडी गांव के किसानों ने बताया अपनी बर्बाद हो रही फसल का चौंकाने वाला कारण

कंपनी के आसपास खेत, बोरवेल, जलाशय, आवासीय क्लस्टर होने से कृषि नुकसान के साथ स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ा हैः किसान


 

तो अंदर से टूट जाता है किसान

चित्तौड़गढ़: कृषि उपज आम आदमी के लिए महज एक उत्पाद हो सकती है, जो इसे बाजार से खरीदकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है। उसके मन में इससे ज्यादा कोई भावना नहीं पाई जा सकती है। लेकिन जब बात कृषि या कृषि उत्पादन से जुड़ी हो तो किसान के लिए अपनी भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करना वाकई मुश्किल होता है, कृषि किसान के जीवन का हिस्सा है, उसके पुरखों की विरासत है… इस खेत में उनके पिता और दादा का पसीना है, कड़ाके की ठंड, चुभती गर्मी या मूसलाधार बारिश के बीच में आधी रात की मेहनत… यह सब किसान सहता है, क्योंकि यही उसकी आजीविका है… उसके परिवार को समृद्ध करने का तरीका है.. उसका गुरूर है किसानी… न जाने कितने जज़्बात उससे जुड़े हैं। लेकिन जब किसान के लिए खेती छोड़ने की बात आती है तो वह अंदर से टूट जाता है। उसकी सारी भावनाएँ ताश के पत्तों की तरह बिखर जाती हैं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में सामने आया है, जहां किसानों को फसल के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कृषि फसलों की हालत देखकर कुछ किसान खेती छोड़ रहे हैं। इस स्थिति के पीछे का कारण यहां स्थित एक एग्रो कंपनी द्वारा फैलाया जा रहा प्रदूषण होने की बात को किसान दोहरा रहे है।

पर्यावरण टुडे की टीम मौके पर पहुंची

जहां इन किसानों का कहना है कि उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है, वहीं पर्यावरण टुडे की टीम मौके पर पहुंची और पता किया कि उनकी वास्तविक स्थिति क्या है। पर्यावरण टुडे किसानों की चिंताओं को प्रशासन तक पहुंचाने की एक मुहिम छेड़ी है, जिसके तहत अंदरूनी इलाकों के किसानों की मन की आवाज को प्रशासन तक पहुंचाई जाती है।

वीडियोः 

किसान को हो रहा है आर्थिक नुकसान

पर्यावरण टुडे की टीम ने राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के गंगरार तहसील के चौगावडी गांव के किसानों से मुलाकात की। यहां इस गांव के किसानों से बात की और उनकी समस्या को जाना। गांव के किसान कालूलाल शर्मा ने बताया कि हमारे यहां खेतों के पास एक एग्रो कंपनी स्थित है। ये कंपनी प्रदूषण फैला रही है, जिससे हमें कृषि उत्पादन में नुकसान हो रहा है। हर साल हमें प्रति विधा 17 से 18 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। हमने इसके लिए शिकायत भी की है। यहां प्रदूषण विभाग ने भी इस की जांच की थी, लेकिन कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है।

वायू प्रदूषण से मवेशियों के लिए भी पानी पीने लायक नहीं रहा

यहां खेतों के बीच में लगी एग्रो इंडस्ट्रीज आसपास के ग्रामीणों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन रही हैं। कंपनी कह रही है कि वह गैस नहीं छोड़ती, लेकिन हकीकत यह है कि कंपनी रात में हवा में गैस छोड़ती है। जिसके कारण हमें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। इस प्रदूषण के कारण हमारे मवेशियों के लिए भी पानी पीने लायक नहीं रहा। साथ ही, इस प्रदूषण के कारण मवेशियों के लिए चारा भी प्रभावित होता है, जिससे यह मवेशियों के लिए अखाद्य हो जाता है। किसान कालू लाल ने उनकी समस्या का समाधान करने का अनुरोध किया।

 

वायू प्रदूषण से 100 से 150 बीघा जमीन प्रभावित

इस संबंध में चौगावडी ग्राम पंचायत के सरपंच बहादुर सिंह राणावत बता रहे हैं कि मानसिंग का खेड़ा गांव हमारी ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है। यहां तीस्ता एग्रो इंडस्ट्रीज नामक कंपनी स्थित है, जिसमें उर्वरकों का निर्माण किया जाता है। इस कंपनी के कारण यहां आसपास की 100 से 150 बीघा जमीन प्रभावित हो रही है, जिससे किसानों को कृषि और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी द्वारा रात में गैस छोड़ी जाती है, जिससे खेती को नुकसान होता है। कृषि उत्पादन घटने से होने वाली आर्थिक क्षति किसानों के मनोबल को तोड़ रही है। इस समस्या को लेकर हम कई बार कंपनी और प्रदूषण विभाग को अवगत करा चुके हैं, लेकिन हमारी समस्या किसी भी प्रशासन द्वारा नहीं सुनी जा रही है। मैं आपके माध्यम से राजस्थान सरकार तक यह बात पहुंचाना चाहता हूं कि यहां के किसानों की पीड़ा सुनी जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।

हवा में रासायनिक स्तर बढ़ने से फसलों सहित सभी वनस्पतियाँ प्रभावित

अन्य व्यक्ति ने बताया कि कंपनी उत्पादन में स्पेंट एसिड भी इस्तेमाल  करती है जो नियमों के विरुद्ध है जिससे गंभीर प्रदूषण होता है। एक अन्य किसान मथरालाल जाट ने कहा कि कंपनी द्वारा रात में उत्पादन के दौरान उत्सर्जन के कारण रसायन हवा के साथ फैलने लगे। हवा में रासायनिक स्तर बढ़ने से फसलों सहित सभी वनस्पतियाँ प्रभावित हुईं और चारे को नष्ट कर रही है। साथ ही हमें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। हमने इसकी शिकायत भी की है, लेकिन कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है। जिससे हमें अपने परिवार की आजीविका चलाने में कठिनाई हो रही है।

फसलें और चारा पड़ जाता है पीला

यह एग्रो कंपनी से निकलने वाली गैस के कारण फसलें और चारा पीला पड़ जाता है। खुले पानी में वायु प्रदूषण से फैले पार्टिकल्स मिलने के कारण यह जानवरों के पीने लायक भी नहीं रह गया है। यह बात किसानों ने आगे बताई।

 

 

छोड़ी जा रही गैस से बर्बाद हो रही है फसलें

मानसिंग का खेड़ा के कुछ किसानों का कहना है कि कंपनी द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा अनुमोदित कीये गये दिशानिर्देश को नजरअंदाज कर के छोड़ी जा रही गैस से उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं। एक किसान का कहना है की मेने खेती करना छोड़ दिया है। हमारे परिवार को पिछले दो-तीन साल से खेती करने में समस्या का सामना करना पड रहा है। जब तक फसल तैयार होती है, कंपनी द्वारा छोड़ी गयी गैस से खेती बर्बाद हो जाती  है। हमने कंपनी को भी सूचित किया लेकिन उन्होंने कहा कि वे अब गैस छोड़ना बंद कर देंगे, लेकिन स्थिति अभी भी वैसी ही है। हमने अपने खेत में बोरवेल लगवाया है, लेकिन समस्या का समाधान न होने से हमने बोर की मोटर भी निकालकर बेच दी है। हम यहां के भीतरी इलाकों में रहते हैं। हम जैसे गरीबों की समस्या कौन सुनता है। अपनी बात किस तक और कैसे पहुंचाएं.. समझ नहीं आ रहा है। हमारी आजीविका कृषि पर निर्भर है, फिर भी हमारे परिवार ने भारी मन से खेती छोड़ दी है। फिलहाल हमारे खेतों में कोई खेती नहीं कर रहा है… वे बस खाली हैं…। खेती की दयनीय स्थिति और खेती के घटते महत्व का मतलब है कि युवा अपनी खेती की जमीन छोड़ रहे हैं। कड़ी मेहनत और भारी लागत को देखते हुए किसान भी नहीं चाहता कि अब खेती करें।

कंपनी के आसपास खेत, बोरवेल, जलाशय, आवासीय क्लस्टर

मानसिंग का खेड़ा गांव जहां एग्रो कंपनी स्थित है, वहां जाने पर पता चला कि कंपनी के आसपास खेत, बोरवेल, जलाशय, आवासीय क्लस्टर हैं। फिर एग्रो कंपनी को इस तरह से पर्यावरणीय अनुमति कैसे दी जा सकती है? अनुमोदन के समय इस बात पर विचार किया गया कि भविष्य में यहां के किसानों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है या नहीं? कंपनी के कारण कृषि उत्पादों पर किस तरह का असर पड़ सकता है? – वर्तमान स्थिति को लेकर किसानों के मन में यह प्रश्न भी उपस्थित हो रहे है।

नियमानुसार उचित कार्यवाही करेंगे…

किसानों की यह समस्या के तथ्य को जानने के लिए पर्यावरण टुडे ने राजस्थान पॉल्यूशन नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी से रूबरू बात की। चित्तौड़गढ़ के क्षेत्रीय अधिकारी आशीष कुमार बौरासी ने कहा की सरकार के साथ कुछ समस्या के कारण यह कंपनी पिछले तकरीबन डेढ़ महिने से बंद स्थिति में है। कभी कभार कंपनी जीएसएसपी नामक प्रोडक्ट के प्रोडक्शन के लिए प्लांट चलाती है। कंपनी अभी पूर्ण कालिक रूप से संचालित नहीं हो रही है। यहाँ के किसानों की स्थिति की बात करें तो आमतौर पर बारिश के मौसम में उन्हे समस्या का सामना करना पडता है। हालाकि, कुछ किसानों ने हमारे समक्ष अपनी फरियाद की थी, लेकिन उन्होंने अपनी फरियाद को वापिस ले ली थी। फिर भी हम यहाँ के किसानों को आश्वस्त करते है कि जब भी कंपनी द्वारा वायु प्रदूषण फैलाया जा रहा होने का उन के ध्यान पर आये तो वह शिकायत कर सकते है, हम नियमानुसार उचित कार्यवाही करेंगे।

…तो किसान अपने खेतों में मेहनत कर सही मायने में आत्मनिर्भर बन सकते हैं

हालाँकि, यहाँ मुख्य बात किसानों की समस्या है, जिसका समाधान किया जाना आवश्यक है। ऐसी स्थिति में जब द्विबीजपत्री फसलें तेजी से प्रभावित और नष्ट हो रही हैं, किसान धैर्य खो रहे हैं, सरकार को इस वायु प्रदूषण को रोकने के लिए गंभीरता से त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए और उपचारात्मक उपाय सुझाकर किसानों को अपनी फसल बचाने के लिए मार्गदर्शन करना चाहिए। वे यह भी मांग कर रहे हैं कि किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई की जाए। यदि प्रशासन अन्नदाता की बात सुने और कोई समाधान निकाले तो किसान अपने खेतों में मेहनत कर सही मायने में आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

 

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