भारत में गिरते भूजल स्तर पर एनजीटी ने केंद्र, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा

नई दिल्ली: भारत में गिरते भूजल स्तर को उजागर करने वाली एक रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), जल शक्ति मंत्रालय, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के साथ 19 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के जल संसाधन विभागों से भी जवाब मांगा है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गंगा बेसिन के कुछ क्षेत्र पहले ही भूजल की कमी के उच्च बिंदु को पार कर चुके हैं और समग्र उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में 2025 तक भूजल स्तर बहुत कम होने की उम्मीद है। दूसरी ओर, 22 नवंबर, 2023 को केंद्रीय भूजल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया कि स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा सभी उपाय किए गए हैं।

जिन राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है उनमें आंध्र प्रदेश, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, हरियाणा, बिहार, गुजरात, त्रिपुरा और झारखंड आदि शामिल हैं। इन सभी को अगली सुनवाई से पहले अपना जवाब दाखिल करना होगा।

भारत का उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र, देश की बढ़ती 1.4 अरब आबादी के लिए आजीविका के रूप में महत्वपूर्ण है, पंजाब और हरियाणा देश की चावल आपूर्ति का 50 प्रतिशत और गेहूं भंडार का 85 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। रिपोर्ट रेखांकित करती है कि पंजाब में 78 प्रतिशत कुओं को अतिदोहित माना जाता है और पूरे उत्तर पश्चिम क्षेत्र में 2025 तक भूजल उपलब्धता में गंभीर कमी होने की संभावना है।

रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के संयुक्त उपयोग को पीछे छोड़ते हुए, भारत भूजल का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है।

मामले की अगली सुनवाई 9 फरवरी, 2024 को होनी है।

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