“चलता है चलने दो” नीति अपनाकर चल रही पाली की 30 टेक्सटाइल इकाइयां कंसेट टू ओपरेट निरस्त, पहले क्यों नहीं की गई यह कार्रवाई?
- उधमियो का तर्क है की हमारे द्वारा निर्धारित दर से समय पर पैसे का भुगतान किया जाता रहा है
- पानी सही ट्रीट करना CETP फाउंडेशन की जवाबदारी है
- जयपुर से आयी आरएसपीसीबी की टीम
- 12 दिसंबर से 20 दिसंबर तक औद्योगिक इकाइयों में निरीक्षण किया
- सैंपलिंग में अनियमितता और विफलता वाली 30 इकाइयों पर कनेक्शन काटने की कार्रवाई
पाली: RSPCB और पाली स्थित कपड़ा उद्योग पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय रहे हैं। दिवाली के तुरंत पहले से ही पाली सीईटीपी फाउंडेशन में कई नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिले। सीईटीपी का संचालन करने वाली स्वराष्ट्र एनवायरो कंपनी ने परिचालन बंद करने का नोटिस दिया, RSPCB ने भी 8 नवंबर को उद्योगों को तुरंत बंद करने का नोटिस जारी किया, मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया और राजनेतिक हस्तक्षेप के बाद 13 नवंबर को उद्योगों को फिर से शुरू करा दिया गया।
स्वराष्ट्र एनवायरो और सीईटीपी फाउंडेशन विवाद:
इन सभी घटनाक्रमों के केंद्र में स्वराष्ट्र एनवायरो और सीईटीपी फाउंडेशन के बीच विवाद है। फाउंडेशन पर स्वराष्ट्र एनवायरो का बकाया था और भुगतान समय पर नहीं मिलने के कारण प्लांट बंद कर दिया गया और बोर्ड को सूचित किया कि भुगतान होने तक परिचालन फिर से शुरू नहीं होगा। इसके बाद जयपुर में आरएसपीसीबी, सीईटीपी और स्वराष्ट्र पर्यावरण के बीच एक मैराथन बैठक हुई। इस बैठक का नतीजा संतोषजनक रहा और उद्योग-धंधे फिर से शुरू हो गये। हालांकि इस बैठक में उच्च अधिकारियों पर लगाए गए आरोप और सीईटीपी नंबर 6 के जेडएलडी पर संचालित होने का झूठे दावे की पोल खुलने की जानकारी भी सामने आई।
पाली टेक्सटाईल उद्योग मे फिर से नया मोड
फिर करीब एक माह बाद पाली टेक्सटाईल उद्योग मे फिर से नया मोड आया, जिससे उद्योग में खलबली मच गई है, जिसका शिकार उद्योगपति हो रहे हैं। मामला यह है कि पाली में इकाइयों से प्रदूषित पानी निकलने और बिना उपचार पानी CETP पर भेजने की शिकायत पर आरएसपीसीबी द्वारा मुख्यालय पर एक टीम का गठन किया गया और उन्हें जाँच के लिए पाली भेजा गया ! जयपुर से आयी आरएसपीसीबी की टीम ने 12 दिसंबर से 20 दिसंबर तक औद्योगिक इकाइयों में निरीक्षण किया। लगभग 300 इकाईयों का निरिक्षण किया गया और इन इकाइयों से सेम्पल लेकर जांच की गई, जिसमें कई इकाइयों में अनियमितताएं पाई गईं, कुछ नमूने फेल पाए गए। इस जांच के दौरान सैंपलिंग में अनियमितता और विफलता वाली 30 इकाइयों पर कनेक्शन काटने की कार्रवाई की गई है। इन सभी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई का खामियाजा अन्य उद्योगों को भुगतना पड़ रहा है। इसके साथ ही चर्चा के केन्द्र मे सीईटीपी आ जाता है।
सही मायनो मैं इन सबके लिए जवाबदार कोन है?
अब प्रश्न ये उठता है कि सही मायनो मैं इन सबके लिए जवाबदार कोन है ? उधमियो का तर्क है की हमारे द्वारा निर्धारित दर से समय पर पैसे का भुगतान किया जाता रहा है और पानी सही ट्रीट करना CETP फाउंडेशन की जवाबदारी है और उनकी उदासीनता का परिणाम हमें भुगतना पड़ रहा है वही कांट्रेक्टर का कहना है की निर्धारित मानको पे पानी नहीं आने के कारण पानी का सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा और इन दोनों के बिच की कड़ी CETP फाउंडेशन (जो मानको पर पानी लेने और कांट्रेक्टर को दिलाने के लिए जवाबदार है!) अपनी गलत नीतियों के कारण मोन है !
छोटे छोटे व्यापारी को खामियाजा
CETP फाउंडेशन ने भाई भतीजा वाद की नीतियों को अपनाते हुए सिर्फ प्लांट चलने पर ध्यान दिया कभी भी पानी की गुणवत्ता को समझा ही नहीं और परिणाम, छोटे छोटे व्यापारी आज इसका खामियाजा भुगत रहे है!
यह कार्रवाई पहले क्यों नहीं की गई?
हालांकि यहां यह सवाल भी उठता है कि अगर इतने विवाद के बाद पाली स्थित औद्योगिक इकाइयों से प्रदूषित पानी के नमूने लिए जा रहे हे तो यह कार्रवाई पहले क्यों नहीं की गई? यदि यही कवायत पहले से की गई होती, तो पिछले दो महीनों में देखे गए कई विवाद पेदा ही नहीं होते, और सब कुछ सूचारू रूप से संचालित किया गया होता । हालाँकि, यह ध्यान से सोचना ज़रूरी है कि गलती किसकी है और सज़ा किसे मिल रही है। प्रदूषित पानी को लेकर उद्योगों को जारी किये गये नोटिस से भी उजागर होता है की उद्योगों ने भी इस मुद्दे पर कभी गंभीरता से नहीं सोचा और “चलता है चलने दो” नीति को अपनाकर लापरवाही दिखाई है।
यहां यह बताना जरूरी है कि सीईटीपी-6 की उपचार क्षमता 12 एमएलडी है और इसका हमेशा दावा किया जाता रहा है, लेकिन इसने कभी भी 5 एमएलडी से अधिक प्रदूषित पानी का उपचार नहीं किया है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार केवल एक एमएलडी पानी का उपचार किया गया था और अब तक संयंत्र को मानकों के अनुसार जेडएलडी पर कभी भी संचालित नहीं किया गया था।
कंसेट टू ऑपरेट निरस्त की गई फेक्ट्रियों में शामिल है :-
- गुलेच्छा प्रिटिंग वर्क्स
- ख्वाजा डाइंग कंपनी
- सोनू डाइंग एंड प्रिटिंग वर्क्स
- विजय आनंद टेक्सटाइल्स
- मनोज टेक्सटाइल्स
- एसएस एंटरप्राइजेज सागर डाइंग
- जे के प्रोसेस
- चंद्रप्रभु कारपोरेशन
- बांके बिहारी प्रोसेस
- धनवर्षा डाइंग
- ऍम जी टेक्सटाइल्स
- कोठारी अपेरीअल्स
- नवीन मेहता
- प्रांजुल फैशन प्राइवेट लिमिटेड
- राजकमल फेल्ट फिनिशिंग
- जी एम टेक्सटाइल मिल्स
- आरबी प्रोसेस
- श्री प्रिंट
- गणधर गौतमं फेब टेक्स प्राइवेट लिमिटेड
- सूरज किरण फेब्रिक्स
- बालाजी प्रोसेस सैकंड यूनिट
- अजमी डाइंग एंड प्रिटिंग मिल्स
- विकास फेब टेक्स
- कुसुम टेक्सटाइल
- रूपाली हैंड प्रोसेस
- बालाजी प्रोसेस
- श्रीकांत प्रोसेसर
- मोहित इंडस्ट्रीज
- माइक्रो टेक्स
- श्री मेवाइ फिनिशिंग