आरएसपीसीबी द्वारा एनजीटी के आदेशों का किया जा रहा है वॉयलेशन?

  • आरएसपीसीबी ने अपने आदेश को दरकिनार करते हुए 20 लाख की बैंक गारंटी लेकर 13 नवंबर से सामान्य परिचालन फिर से शुरू करने की अनुमति दी
  • आरएसपीसीबी द्वारा पिछले 12 दिनों से बंद CETP प्लांट को फिर से चालू करने की अनुमति देकर एनजीटी के आदेशों का किया जा रहा है वॉयलेशन
  • सीईटीपी फाउंडेशन का गैर जिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला
  • CETP प्लांट नंबर 4 जो 2 साल पहले ही ZLD हो जाना चाहिए था आज दिन तक नहीं हो पाया
  • एनजीटी के आदेश की अनदेखी करते हुए बालोतरा CETP को भी किया गया था पुनः चालु
  • आरएसपीसीबी अलस मे रसूलदार लोगो द्वारा नियंत्रित मंडल?
  • क्या सिर्फ पैसों से प्रदूषण से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है?
  • पाली सीईटीपी को लेकर नाटकीय घटनाक्रम में दरकिनार हुआ पर्यावरण का मुद्दा
  • इस घटनाक्रम मे पर्यावरण क्षति का मुख्य मुद्दा हाशिये पर डाल दिया गया
  • क्या इस तरह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत का सपना होगा साकार?

पाली: CETPऔर प्रदूषण को लेकर पाली स्थित कपड़ा उद्योग काफी समय से सुर्खियों में है। हाल ही में दिवाली के बाद एक और नाटकीय घटना घटी जिसने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर हमारे दावों को एक बार फिर खोखला साबित कर दिया।

जिम्मेदारी ठीक से न निभाने का खामियाजा कपड़ा इकाइयों को भुगतना पड़ा

पूरे परिदृश्य की बात करें तो पाली में स्थित कपड़ा इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को ट्रीट करने की जिम्मेदारी पाली सीईटीपी फाउंडेशन की है और वह ऐसा करे इसको नियंत्रित करने की जवाबदारी राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की हे और इस जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाने का खामियाजा कई बार यहां की कपड़ा इकाइयों को भुगतना पड़ा है ।

ये प्लांट सही मायनों में ZLD तक चला ही नहीं

हकीकत ये है कि CETP-6 की ट्रीटमेंट क्षमता 12 एमएलडी है और इस बात का दावा हमेशा से किया जाता रहा है लेकिन यहां कभी भी 5 एमएलडी से अधिक पानी ट्रीट नहीं किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सिर्फ एक बार 8 एमएलडी पानी ट्रीट किया गया और आज तक कभी ये प्लांट सही मायनों में ZLD तक चलता ही नहीं है ।

1 नवंबर से अगले आदेश तक बंद करने का आरएसपीसीबी का था आदेश

OCEMS मीटर भी नहीं लगाए गए और ग्रिड चैंबर में स्लज भी जमा होता देखा गया। ये सारी जानकारियां सामने आने के बाद भी अभी तक सिर्फ नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री करने वाले राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सभी फैक्ट्रियों को 1 नवंबर से अगले आदेश तक बंद करने का आदेश दिया था, जिसमें स्पष्ट था कि सीईटीपी-6 के पूरी तरह से सुचारू होने के बाद ही ये प्लांट और इससे जुड़ी इकाइयां शुरू हो पाएंगी।

स्वराष्ट्र एनवायरो और सीईटीपी फाउंडेशन के बीच विवाद

इन सभी घटनाक्रमों के बीच CETP प्लांट-6 का संचालन करने वाली स्वराष्ट्र एनवायरो कंपनी चर्चा में आयी। जानकारी के मुताबिक, स्वराष्ट्र एनवायरो और सीईटीपी फाउंडेशन के बीच विवाद जब सामने आया तो पता चला कि स्वराष्ट्र एनवायरो का सीईटीपी फाउंडेशन पर रुपये बकाया है जो अक्टूबर तक बढ़कर करोड़ रुपये हो गये थे। भुगतान न करने के कारण स्वराष्ट्र एनवायरो ने दीपावली से जस्ट पहले प्लांट बंद कर दिया और बोर्ड को सूचित कर दिया कि जब तक हमारा बकाया भुगतान हमे नहीं मिलता हम प्लांट वापस चालू नहीं करेंगे।

जयपुर स्थित मुख्यालय पर सीईटीपी के पदाधिकारी और स्वराष्ट्र एनवायरो के मालिकों की मीटिंग

आनन फानन में जयपुर स्थित मुख्यालय पर सीईटीपी के पदाधिकारी और स्वराष्ट्र एनवायरो के मालिकों की मीटिंग बुलाई गई जिसमें उन्हें कुछ राशि के तुरंत भुगतान का वादा किया गया पर यहां उच्च अधिकारियों के सामने आरोप और प्रत्यारोप ने 6 नंबर CETP के ZLD पर चलाए जाने वाले दावों की पोल खोल दी पर दिवाली के सीजन को देखते हुए बोर्ड ने एक बार प्लांट को तुरंत चालू करने की पहल करवाई।

सीईटीपी फाउंडेशन का गैर जिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला

और तब से पूरा मामला विवादों में घिरा हुआ दिखा, यहां सीईटीपी फाउंडेशन का गैर जिम्मेदाराना रवैया देखने को मिला है। वर्ष 2021 में 168 करोड़ की लागत से बने इस CETP-6 में गंभीर खामीयां है पर सीईटीपी बेपरवाह बना रहा और CETP प्लांट नंबर 4 जो 2 साल पहले ही ZLD हो जाना चाहिए था आज दिन तक नहीं हो पाया, हालाँकि फाउंडेशन प्रदूषित पानी के उपचार के लिए प्रत्येक कंपनी से 2100 रुपये प्रति केएलडी चार्ज कर रहा है, महीने के अंत में जिसे एक बड़े राजस्व के रूप में देखा जाता है, लेकिन यहां सवाल उठता है कि इकाइयों से इतनी बड़ी रकम वसूलने के बाद भी प्रदूषित पानी का उसकी क्षमता के अनुसार उपचार क्यों नहीं किया जा रहा है?

… प्रदूषण नियंत्रण के दावे करने वाले हमारे प्रसाशन ने खुद को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया

इन सभी घटनाक्रमों में एक और नाटकीय मोड़ आया और पाली स्थित 550 से अधिक कपड़ा इकाइयों के मालिकों के बीच तो खुशी की लहर देखी गई पर एक बार फिर आम आदमी, किसान और प्रदूषण नियंत्रण के विषय में दावे करने वाली हमारे प्रसाशन को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया।

क्या आरएसपीसीबी असल मे रसूलदार लोगो द्वारा नियंत्रित मंडल है?

पिछले 12 दिनों से बंद सीईटीपी प्लांट को न सिर्फ बिना परिचालन योग्य बनाए बिना चालू करने की अनुमति दे दी गई बल्कि मेहरबानी का आलम ये रहा कि माननीय एनजीटी कोर्ट के आदेशों को भी दरकरार करते हुए एक बार पुनः 4 नंबर प्लांट को बिना ZLD चालू करने की इजाजत देकर राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने सिद्ध कर दिया कि असल मै वो रसूलदार लोगो द्वारा नियंत्रित मंडल है। हम भी हमेशा से यही कहते है कि उद्योग चलने चाहिए पर पर्यावरण की कॉस्ट पर नहीं काश प्रसाशन भी ऐसा सोच पाता….

10 नवंबर को बोर्ड ने CETP प्लांट नंबर 6 सही नहीं होने तक उससे जुड़ी सभी इकाइयों को भी बंद रखने के आदेश दिए और फिर एक ही रात मै अपने आदेश को दरकिनार करते हुए 20 लाख की बैंक गारंटी लेकर 13 नवंबर से सामान्य परिचालन फिर से शुरू करने की अनुमति दे दी गई।

क्या सिर्फ पैसों से प्रदूषण से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है?

प्रश्न ये उठता है कि क्या सिर्फ पैसों से प्रदूषण से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सकती है?? यदि हा तो फिर प्रदूषण नियंत्रण मंडल को कहना चाहिए आप कोई भी इकाई चलाओ और कितना भी प्रदूषण करो सिर्फ बोर्ड मै पैसे जमा करा कर आप कुछ भी कर लो।

इस समूचे मामले से जुड़े हुए सभी घटनाक्रम को लेकर क्या जयपुर स्थित आरएसपीसीबी के मुख्यालय को नहीं लगता कि हमारा काम प्रदूषण को नियंत्रित करना है, लेकिन यहां तो सीईटीपी पुनः चालु करके जो भी कसूरवार है उन के खिलाफ ठोस कार्यवाही न करके उन्हें राहत की साँस लेने दिया जा रहा है, असल में तो यह कार्य प्रकृति का गला घोटने का है…

इस घटनाक्रम मै पर्यावरण क्षति का मुख्य मुद्दा हाशिये पर डाल दिया गया

इस घटनाक्रम से सब कुछ संभव है वाली स्थिति पेदा हूई। कपड़ा उद्योग फिर से शुरू हुए, CETP-6 शुरु किया गया और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 20 लाख की बैंक गारंटी मिली और पर्यावरण क्षति का मुख्य मुद्दा हाशिये पर डाल दिया गया। क्या इस परिदृश्य में पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में कोई चर्चा हुई? यह एक महत्वपूर्ण बिंदु है। जिस विषय पर विवाद शुरू हुआ था उसे किनारे रख दिया गया।

प्लांट का प्रबंधन ठीक से नहीं हुआ तो आगे भी की जाएगी सख्त कार्रवाई

हालांकि, आरएसपीसीबी के आरओ राहुल शर्मा के मुताबिक अगर पानी का ट्रीटमेंट नियमानुसार नहीं किया गया तो प्लांट को बंद रखा जाएगा और अगर प्लांट का प्रबंधन ठीक से नहीं हुआ तो आगे भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस पूरे घटना क्रम में सिर्फ यही सवाल मन मै आता है क्या इस तरह हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत का सपना साकार हो पाएगा? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को प्रदूषण मुक्त करने का प्रयास कामयाब हो पाएगा और क्या ओलंपिक खेलो के लिए भारत की दावेदारी सफल हो पाएगी???

एनजीटी के आदेश की अनदेखी करते हुए बालोतरा CETP को भी किया गया था पुनः चालु

यहां यह बताना जरूरी है कि बालोतरा स्थित CETP भी इसी वर्ष चर्चा में आया था। बालोतरा CETP के निरीक्षण के बाद कई खामियां सामने आने पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया और अगले आदेश तक बंद कर दिया गया। लेकिन नाटकीय ढंग से इसे भी माननीय एनजीटी के आदेश की अनदेखी करते हुए दोबारा शुरू कर दिया गया। बालोतरा CETP प्लांट के दोबारा शुरू होने से यहां के जलस्रोतों समेत पर्यावरण को नुकसान अब भी जारी है। हालाँकि, ऐसे मामलों में, प्रकृति असहाय दिखाई देती है, भले ही यह ईश्वर द्वारा हमें दिया गया अनमोल उपहार ही क्यों न हो।

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