पाली की हरियाली को बचाने के लिये क्यों करना पड रहा है जन आंदोलन..?

 

पाली सीईटीपी प्लांट नंबर 6 जो पूर्णतया जीरो लिक्विड डिस्चार्ज यानी की जेडएलडी संचालित होने का दावा करता है लेकिन यहां कि स्थिति अभी भी ज्यों कि त्यों दिखाई देती है। पाली के औद्योगिक ईकाईयों से निकलने वाला अनट्रीटेड प्रदूषित पानी को बड़े-बड़े पाईप लगाकर सीधा बांडी नदी में छोडा जा रहा है। कुछ ऐसे ही दृश्य पर्यावरण टुडे की टीम को यहा पाली औद्योगिक क्षेत्र में देखने को मिले लेकिन आश्यर्यजनक बात यह है कि सामान्य जन को दिखाई देने वाला ये दृश्य प्रदूषण को रोकने के लिये ज़िम्मेदार अधिकारियो को दिखाई नहीं देता ! प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के स्थानिय अधिकारियो ने तो प्रयास किए पर ऐसा लगता है की जयपुर में बैठे राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आला अधिकारीयों ने अपनी आंखे मूंद ली है।

यहां के सीईटीपी की बात करें तो जहाँ माननीय एनजीटी कोर्ट ने पाली में संचालित सभी प्लांट्स को जेडएलडी पर चलाने के निर्देश दे रखे है रसूलदारो के प्रभाव से कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करते हुए प्रदूषण नियंत्रण मण्डल द्वारा उन्हें टर्सरी तक ट्रीट करके पानी नदी मै डालने को इजाजत दे दी गई और सिर्फ इतना ही नहीं जहा ये सम्मति हर बार 3–3 माह के लिए दी जाती थी प्लांट 6 के नदी मै सीधे पानी छोड़ने की घटना पकड़ मैं आने के तुरंत बाद उन्हें इस बार 6 माह की सम्मति दे दी गई।

इसी वर्ष राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारियों ने भी कबूल लिया है की सीईटीपी ट्रीटमेंट प्लांट 6 से भी प्रदूषित पानी सीधा बांडी नदी में छोडा जा रहा है प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के रीजनल ऑफ़िसर द्वारा समय समय पर किये जा रहे निरीक्षण की 14 जून २०२४ की रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया है साथ ही उस दिन जयपुर से आई टीम ने भी निरीक्षण किया और पाया था कि सीईटीपी के प्लांट 6 व 4 से प्रदूषित पानी बिना ट्रीटमेंट के बांडी नदी में छोडा जा रहा है, लेकिन सीईटीपी फाउंडेशन के पदाधिकारी व प्लांट इंचार्ज इससे पहले हर बार ना करते रहे। सबसे मज़ेदार बात तो ये है कि प्रदूषण नियंत्रण मण्डल मुख्यालय द्वारा बिना कोई उचित कार्यवाही करे सीईटीपी फाउंडेशन पर मात्र ५० लाख का जुर्माना लगा कर अपने दायित्व से इतिश्री कर ली और हमेशा की तरह इसका ख़ामियाजा निर्दोष किसानों को भुगतना पड़ रहा है !

फैक्ट्रियों से निकलने वाले रंगीन पानी को ट्रीट करने के लिए औद्योगिक क्षेत्र में सीईटीपी का ट्रीटमेंट प्लांट बना हुआ है, लेकिन प्लांट 4 से प्रदूषित पानी सीधा बांडी नदी में छोडा जा रहा है, तो दूसरी ओर फेक्ट्री संचालको से पैसा भी वसूला जा रहा है, यह बात हैरत करने वाली है।

पाली स्थित सीईटीपी फाउंडेशन की पृष्ठभूमि पे प्रकाश डाले तो, लंबे समय तक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले की सुनवाई हुई और 2016 में पूरे पाली टेक्सटाइल उद्योग को 9 महीने बंद का सामना करना पड़ा, उसके बाद आस पास के लाखों किसानों की तकलीफ के मद्देनजर और उद्योग भी बंद न हो इस बात को ध्यान में रखते हुए माननीय नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पाली टेक्सटाइल उद्योग से निकलने वाले खतरनाक पानी के अपशिष्ट को नदी मे न बहाकर पुन: काम में लेकर और बचे अपशिष्ट को उड़ा कर उद्योगों को पुनः चालू करने की सहमति दी।

ऐसा प्रतीत होता है माननीय एनजीटी के आदेश की यहा सरासर अवहेलना हो रही हो और प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ही उनका रक्षक बना हुआ हैं ! अब फिर से यहां के पर्यावरण प्रेमीजन अपने शहर पाली की हरियाली को बचाने के लिए एकजूट होने जा रहे है। अभी हाल ही में पाली सीईटीपी-4 से फेलायें जा रहे प्रदूषण के जो द्रश्य दिखने मिले वो हमारी सोच को दर्शाता है !

पाली में सीईटीपी-4 से प्रदूषित जल काला रंग धारण करके बेरोकटोक बहाया जा रहा है। काला रंग का यह पानी अपनी उपर भारी मात्रा में खतरनाक अपशिष्ट की चादर ओढ के आगे बड़  रहा है। कुछ जगह तो यह छीप-छीप के किया जा रहा है.. एक औद्योगिक ईकाई की दिवार की बाहरी ओर बडा पाईप लगा है, जिसके सट के मिट्टी के टिले के कोने में से प्रदूषित पानी को बहाया जा रहा है, जो सीधा एक नाले में मिलता है और आगे जा के बांडी नदी में मिश्रित होकर पाली की हरियाली नष्ट करने में अपना योगदान देता है।

अन्य एक स्थान पर जहां औद्योगिक प्रदूषित पानी जमा हुआ दिखाई देता है और इस प्रदूषित पानी पे शैवाल की हरी परत अपने आप बौलती है कि देखो अपने पाली हाल। यह सभी द्रश्य सीईटीपी-4 से प्रभावित क्षेत्र की बात करे तो सीईटीपी-4 से छोडा रहा रहा प्रदूषित काले रंग का पानी नदी के माध्यम से बांध तक पहूंचता है। इसके बारे में स्थानिय जागृत जनो ने जिला प्रशासन को यह स्थिति से अवगत कराया है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई भी, किसी प्रकार की कार्यवाही नही की जा रही है।

यहां जो नजारा दिखा वह सिर्फ बांडी नदी को ही प्रदूषित नहीं कर रहां है, लेकिन यहां की आबादी और वन्यजीव एवं सृष्टि के लिए के लिये भी भयानक मंजर को बयां कर रहा है। यहां के कुछ जागृत नागरिक अपने शहर पाली की हरियाली को बचाने के लिए सामने आये है। जिम्मेदार प्रशासन और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आला अधिकारीयों तक अपनी आवाज को पहूंचाने के लिये एक बडा जन आंदोलन करने वाले है। यह जन आंदोलन में तीन जिले बाडमेर, जोधपुर और पाली के लोग प्रशासन की बहरे कान तक अपनी बात पहूंचायेंगे।

जागृत जन अपने पाली की हरियाली को बचायेंगे, शुद्ध वातावरण में रहेने के अपने मूल अधिकारो की मांग करेंगे.. पर्यावरण का संरक्षण करेगे.. ईस तरह से प्रदूषण को फेलाने वाले प्रदूषण माफिया और बढावा देने देने वाले अधिकारीओं की खिलाफ कार्यवाही कर के सरकार को अनुकरणीय कदम उठाना चाहिये, जिस से पाली प्रदूषण की चुंगल से मुक्ति मिले और पाली की हरियाली बनी रहे।

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