आटो सीएनजी घरेलू पीएनजी में बायो-गैस का मिश्रण करना अनिवार्य होगा

नयी दिल्ली:  पेट्रोलियम मंत्रालय ने जैव स्रोतों से तैयार संपीडित बायो गैस (सीबीजी) के उत्पादन और खपत को प्रोत्साहन के लिए परिवहन क्षेत्र के लिए सीएनजी ईंधन और रसोई में उपयोग के लिए पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) में बायोगैस का मिश्रण अनिवार्य किए जाने की योजना घोषित की है।

प्राकृतिक पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की शनिवार को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि संपीड़ित बायो-गैस (सीबीजी) सम्मिश्रण की जिम्मेदारी (सीबीओ) लागू करने से इसके उत्पादन और खपत को बढ़ावा मिलेगा।

विज्ञप्ति के अनुसार पुरी की अध्यक्षता में राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (एनबीसीसी) ने शुक्रवार को सीजीडी क्षेत्र के सीएनजी (परिवहन) और पीएनजी (घरेलू) खंडों में सीबीजी के चरणबद्ध अनिवार्य मिश्रण की शुरुआत किए जाने का निर्णय लिया।

सीबीओ के मुख्य उद्देश्य सीजीडी क्षेत्र में सीबीजी की मांग को तेज करना, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के लिए आयात प्रतिस्थापन, विदेशी मुद्रा में बचत, सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना और शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना आदि हैं।

सरकार का अनुमान है कि सीबीओ से लगभग 37,500 करोड़ रुपये के निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा तथा 2028-29 तक 750 सीबीजी परियोजनाओं की स्थापना हो सकेगी। बैठक के निर्णयों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 तक सीबीओ स्वैच्छिक रहेगा और अनिवार्य सम्मिश्रण दायित्व वित्त वर्ष 2025-26 से शुरू होगा।

वित्त वर्ष 2025-26, 2026-27 और 2027-28 के लिए सीबीओ को कुल सीएनजी/पीएनजी खपत का क्रमशः एक प्रतिशत, तीन प्रतिशत और चार प्रतिशत रखा जाएगा। 2028-29 से सीबीओ पांच प्रतिशत होगा।

केंद्रीय भंडार निकाय (सीआरबी) पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री से अनुमोदित परिचालन दिशा-निर्देशों के आधार पर सम्मिश्रण अधिदेश की निगरानी और कार्यान्वयन करेगा।

बैठक में मक्का से इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सभी हितधारकों, विशेष रूप से कृषि विभाग और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) के साथ आने वाले वर्षों में इसे एक प्रमुख फीडस्टॉक बनाने पर भी चर्चा हुई। मक्के की खेती को और बढ़ावा देने के लिए बीज कंपनियों के साथ आसवकों (डिस्टिलर) के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू किया गया है।

देश में वायु परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए 2027 में एक प्रतिशत एसएएफ सांकेतिक सम्मिश्रण लक्ष्य (प्रारंभ में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए) तथा 2028 में दो प्रतिशत एसएएफ सम्मिश्रण लक्ष्य (प्रारंभ में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए) रखा गया है।

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